अन्य राज्यों के व्यक्ति के लिए दूसरे राज्य में जीएसटी पंजीकरण लेने पर कोई प्रतिबंध नहीं लगाया जा सकता: हाईकोर्ट
अमरावती: आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट ने एक अहम फैसले में कहा है कि किसी भी व्यक्ति को केवल इस आधार पर जीएसटी (GST) रजिस्ट्रेशन से इनकार नहीं किया जा सकता कि वह आंध्र प्रदेश का निवासी नहीं है। कोर्ट ने राज्य के जीएसटी अधिकारियों के आदेश को खारिज करते हुए याचिकाकर्ता को रजिस्ट्रेशन देने का निर्देश दिया है।
क्या है मामला?
“तिरुमला बालाजी मार्बल्स एंड ग्रेनाइट्स” नाम की कंपनी ने आंध्र प्रदेश में जीएसटी रजिस्ट्रेशन के लिए आवेदन किया था। लेकिन राज्य के अधिकारियों ने यह कहते हुए आवेदन खारिज कर दिया कि कंपनी और उसके अधिकृत प्रतिनिधि आंध्र प्रदेश के निवासी नहीं हैं।
कोर्ट का फैसला
याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट में इस फैसले को चुनौती दी। हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि—
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कोई भी व्यक्ति या कंपनी पूरे भारत में कहीं भी व्यापार कर सकती है।
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संविधान का अनुच्छेद 19 देश के हर नागरिक को देशभर में व्यापार करने की स्वतंत्रता देता है।
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सिर्फ टैक्स चोरी की आशंका के आधार पर किसी को रजिस्ट्रेशन से वंचित नहीं किया जा सकता।
अधिकारियों को निर्देश
कोर्ट ने जीएसटी अधिकारियों को आदेश दिया कि वे याचिकाकर्ता को रजिस्ट्रेशन प्रदान करें। साथ ही, अधिकारियों को यह अधिकार दिया कि वे याचिकाकर्ता की टैक्स फाइलिंग और व्यावसायिक गतिविधियों की निगरानी कर सकते हैं, ताकि टैक्स चोरी न हो।
इस फैसले का क्या असर पड़ेगा?
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अब किसी भी व्यवसायी या कंपनी को सिर्फ इसलिए जीएसटी रजिस्ट्रेशन से वंचित नहीं किया जा सकेगा कि वह किसी दूसरे राज्य से है।
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यह फैसला व्यापार की स्वतंत्रता को बढ़ावा देगा और राज्यों के बीच व्यापारिक भेदभाव को कम करेगा।
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भविष्य में अन्य राज्यों में भी ऐसे ही मामलों में कोर्ट का यह फैसला नजीर बन सकता है।
यह फैसला व्यापार जगत के लिए एक राहतभरी खबर है और यह सुनिश्चित करता है कि हर व्यक्ति को समान व्यापारिक अधिकार मिले।
रिट याचिका संख्या 1200/2025, 5-2-2025 को निर्णय लिया गया
लेख सीए अंकित करणपुरिया और सीए अंकुश करणपुरिया द्वारा लिखा गया है। लेखक से karanpuriaankit@gmail.com Mob 8770063848 पर संपर्क किया जा सकता है।
उपर्युक्त लेख में व्यक्त किए गए विचार व्यक्तिगत हैं और सूचनात्मक उद्देश्य के लिए हैं। पाठक को अपने विवेक और विश्लेषण के आधार पर निर्णय लेना आवश्यक है। लेखक पाठक द्वारा विषय वस्तु में लिए गए किसी भी निर्णय के लिए जिम्मेदार नहीं होगा।